जनमानस विशेष

एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है तुम ने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना

By khan iqbal

March 31, 2018

“न्याय में देरी न्याय न मिलने के समान” यह मौलिक उक्ति न्याय तंत्र को हमेशा सबक देती रही है ख़ासकर भारत मे और इन सबके बीच आज हजारों स्वप्नधारी युवा सड़कों पे है। विरोध प्रदर्शन के लोकतांत्रिक रवैये पर लाठीचार्ज ने छात्रों को खून से लथपथ कर दिया है, युवा पढ़ाई छोड़कर सड़को पे है और विरोध करने का पाठ याद कर रहे है क्योंकि इनका गुनाह सिर्फ इतना ही है कि वो लोकतांत्रिक राष्ट्र के भविष्य बनने जा रहे है ।

सरकार और प्रशासन मौन है। जिम्मेदाराना हरकत से हर कोई बचना चाह रहा है इसलिए कि हुक्मरानों की सत्ता पे आँच न आ जाए इसलिए कि कोई अपना गुनहगार बन न निकले। किन्तु-परन्तु की बयानबाजी भी चल रही है और कहा जा रहा है कि दोषियों को बख़्शा नही जाएगा …. लेकिन सवाल यह है कि क्या दीर्घकालिक जिम्मेदारी ली जाएगी कि पेपर लीक न होंगे अर्थात पारदर्शिता से लबरेज युवा निर्माण किया जाएगा ?? जवाबदेही प्रशासन की जरूरत है न कि लालफीताशाही की …

“एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है तुम ने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना” -मुनव्वरराणा युवा सृजन,राष्ट्र निर्माण !!