साहित्य

मेरी माँ -(कविता)

By khan iqbal

June 09, 2018

मेरी माँ

दुःख दर्द समेट जहाँ भर का दिल में आपने। अपनी छाती से सीँच बड़ा किया मेरी माँ आपने।।

हर दुःख दर्द को झेला जीवन में आपने। सुख की छाया में रखा मेरी माँ आपने।।

मेरी शरारतों को नजरअंदाज़ हर वक़्त किया आपने। पापा का गुस्सा, दादी की डाँट से मुझे बचाया आपने।।

मुश्किल वक़्त आया मेरा जब भी मुझे समझा आपने। हर उलझन को मेरी प्यार से सुलझाया मेरी माँ आपने।।

उतार ना पाउँगा कर्ज आपका जो किया मेरे लिए आपने। वक़्त-बेवक़्त लोरी याद आती जो सुनायी मेरी माँ आपने।।

करके बड़ा हमे अब संभाली दोनों दहलीज़ आपने। माँ तो आख़िर माँ अब हम दोनों को सम्भाला मेरी माँ आपने।।

हर ऊंच-नीच का हमारी ख्याल बेहिसाब रखा आपने। बचपन से जवानी तक ना फर्क किया मेरी माँ आपने।।

कुर्बान करके हर शोक, जन्नत बना दी जिंदगी हमारी आपने। ख़ुदा अब हमे तौफीक दे, जो किया मेरी माँ आपने।।

रचनाकार परिचय

Dr. Mohd. Irfan Seyyed Office- Swasthya Bhawan , CM&HO Office Bharatpur, Rajasthan Home address Near New Masjid, Ward No.01, Bissau, Jhunjhunu