युवा क़लम

मेरी प्यारी माँ

By khan iqbal

June 06, 2018

” मेरी प्यारी माँ ”

रुक जाता हूँ किसी मोड़ पर यूँ ही चलते-चलते … जो वादा किया था माँ से , आज फिर याद आता है ।।

दिलों की हसरतें पूरी करना , कहीं आसां था मेरे लिए… मगर उनकी नफरतों का शिकार बनना , आज भी गवारा नहीं ।।

उँगली पकड़कर , डाँट-डपटकर जो सिखाया था कभी … कामयाबी का वोह सबब बनेगी , ऐसी उम्मीद हरगिज़ न थी कभी ।।

थककर गोद में तेरी सोया था जब भी … ऐसी महफूज़ जगह शायद ही होगी कहीं ।।

खुशी दिखकर , ग़मों को छुपाकर जब भी रोई हो तुम … ऐसी सूरत-ए-हाल पर , “काश ! मेरा बस होता ” ।।

बुढ़ापे में लाठी तेरा सहारा हरग़िज़ न बनेगी “ऐ माँ !” इस नालायक बेटे का कंधा, फिर किस दिन काम आएगा ।।

Umar Salim

(Student, SKIT,Jaipur)