राजस्थान नागरिक मंच के महासचिव बसन्त हरियाणा ने राजधानी जयपुर में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि जयपुर के मालपानी हॉस्पिटल में ग्रामीणों पर बिना जानकारी दिए अनैतिक एवं नियम विरुद्ध दवा परीक्षण करने की घटना सामने आये करीब दो सप्ताह बीतने को है, परन्तु अभी तक दोषियों पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। इस पूरी घटना की शिकायत नागरिक मंच द्वारा दिनांक 21/04/2018 को मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार, सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, ड्रग कंट्रोलर, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सहित अन्य को गयी थी एवं उसके पश्चात् पीड़ितों के बयान भी प्रेषित किये जा चुके हैं।
अनैतिक दवा परीक्षण के पीड़ित सोहनलाल, ओमाराम और कालूराम ने अपने बयान में स्पष्ट रूप से कहा है की बिना सहमति पत्र के उन पर ट्रायल हुआ है, किसी प्रकार के दस्तावेज उन्हें नहीं दिए गए है और ट्रायल की दवा लेने का बाद अभी तक कुछ पीड़ितों का स्वास्थ्य ठीक नहीं हैं । स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सभी पीड़ितों पर हुए शारीरिक दुष्परिणाम की आवश्यक जांचे भी अभी तक नहीं की है और पीड़ित अभी भी इलाज का इन्तजार कर रहे हैं.
नियमानुसार दवा परीक्षण के भागीदार को इससे होने वाले संभावित खतरों और लाभ की पुरी जानकारी प्रयोग शुरू होने के पहले दी जानी चाहिए और भागीदार को सहमती पत्र एव सम्बंधित कागजात दिए जाने चाहिए. दवा परीक्षण के भागीदार को दवा परीक्षण के लिए भागीदार बनाने के लिए दी जाने वाली जानकारी का विडियो रिकॉर्डिंग स्वास्थ्य अधिकार मंच द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अनैतिक दवा परीक्षण के मुद्दे पर दायर की गई जनहित याचिका की सुनवाई में एक महत्वपूर्ण निर्णय देते अनिवार्य किया है.
इस पुरे मामले की जाँच ड्रग कंट्रोलर कार्यालय से होने के बावजूद भी जाँच रिपोर्ट अभी तक सार्वजानिक नही की गयी है. इस मामले में ड्रग एवं कास्मेटिक एक्ट, एथिकल गाइडलाइंस फार बायो मेडिकल रिसर्च आन ह्यूमन पार्टिसिपेंट्स, आईसीएमआर 2006, मेडिकल लॉ ऑफ़ इंडिया प्रोफेशनल कंडक्ट एटिकेट एंड एथिक्स रेगुलेशन 2002 के गाइडलाइन्स व ग्लेनमार्क कम्पनी की ट्रायल सम्बंधित अप्रुवल लेटर की शर्तों का भी उल्लंघन स्पष्ट रूप से हुआ है. दवा परीक्षण के प्रतिभागियों को काम की बात करके लाना और लालच देकर दवा परीक्षण करना अनैतिक दवा परीक्षण है. पीड़ितों के बयान, अस्पताल प्रबंधन व मिडिया द्वारा अब तक दी गयी सार्वजनिक जानकारी से प्रथम द्रष्टया अनैतिक ड्रग ट्रायल होने के ठोस प्रमाण है परन्तु अब तक नियमानुसार ठोस कार्यवाही ना होना निष्पक्ष जाँच पर प्रश्न चिन्ह है एवं दोषियों को बचाने का प्रयास नजर आ रहा है.
ज्ञात हो की राजस्थान सरकार द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय में दिए गए अपने शपथ पत्र में वर्ष 2005 से जून 2012 तक कुल 386 दवा परिक्षण प्रतिभागियों पर दुष्परिणामों’ की जानकारी दी थी जिसमे से 95 प्रतिभागियों की मृत्यु एवं 291 पर गंभीर शारीरिक दुष्परिणाम हुए थे. सुचना अधिकार कानून एवं अन्य स्त्रोतों से प्राप्त जानकारी के अनुसार देश में वर्ष 2005 से 30 सितम्बर 2016 दवा परीक्षण के दोरान 4534 मामले मृत्यु के हुए है एवं 2005 से 30 सितम्बर 2016 के दोरान गंभीर शारीरिक दुष्परिणाम के कुल 19583 मामले हुए है, कुल 24117 (शरीरिक दुष्परिणाम एवं मृत्यु).
राजस्थान सरकार के 30 जनवरी 2013 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत शपथ पत्र में उन्होंने दवा परीक्षण के प्रतिभागी के स्वास्थ्य की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकार की मानी है तो फिर अभी तक मालपानी अस्पताल का लाइसेंस निरस्त क्यों नहीं किया गया है और साथ ही एक और शपथ पत्र में उन्होंने दवा परिक्षण के मामले में पुरी पारदर्शिता लाने की बात कही थी परन्तु मालपानी अस्पताल के इस पुरे मामले में किसी प्रकार की पारदर्शिता नहीं हैं.एक और शपथ पत्र में सरकार ने दो मामलों में मुआवजा देना बताया है एवं दो मामलों में कहा गया था की अभी प्रक्रिया चल रही है. मंच यह मांग करता है उनकी जानकारी सार्वजनिक की जाये. ज्ञात हो की राजस्थान के जयपुर, बीकानेर में वर्तमान में करीब 214 दवा परिक्षण चल रहे है.
माननीय सर्वोच्च न्यायलय के निर्देशानुसार देश में केवल तीन प्रकार के दवा परिक्षण की अनुमति है 1 रिस्क विरुध्द फायदा(Risk Vs Benefit), 2- अभी तक पूरी नहीं हुई आवश्यकता(unmet needs), 3- innovativ Vs Existing. इनके अतिरिक्त किसी अन्य प्रकार के परीक्षण की अनुमति नहीं है.
माननीय न्यायालय के निर्दशानुसार राज्य सरकार द्वारा 1 फरवरी 2013 एवं बाद में पारित अन्य गजट नोटिफिकेशन में सरकार द्वारा दवा परीक्षण के मसले पर मुआवजा, प्रतिभागी की सहमती की सहमती बात कही गयी थी परन्तु अभी भी इन सभी बातों का जमीन पर कोई असर नहीं है और दवा परीक्षण बिना किसी दिशानिर्देश एवं मनमानी से किये जा रहे है.
स्वास्थय अधिकार मंच एवं नागरिक अधिकार मंच सरकार से मांग करता है की :-
ग्लेनमार्क कम्पनी द्वारा की जा रही सभी ट्रायल्स पर तत्काल प्रतिबन्ध लगाया जाये.
मालपानी अस्पताल का पंजीयन निरस्त किया जाये, व वहां होने वाले सभी ट्रायल्स नियमानुसार स्थगित किये जाये.
पीड़ितों की पूर्ण स्वास्थय जाँच की जाकर इलाज सुनुश्चित किया जाये और नियमानुसार उन्हें उचित मुआवजा दिया जाये. `
सभी दोषी चिकित्सक, अस्पताल प्रबंधन, ग्लेनमार्क कम्पनी और दोषी अधिकारीयों एवं अन्य जिम्मेदारों पर ऍफ़ आई आर दर्ज कर कार्यवाही की जाये.
राजस्थान में होने वाले सभी ट्रायल्स की स्वतंत्र जांच की जाये ताकि कोई और अनैतिक ट्रायल का शिकार ना हो.
2005 से 30 अप्रैल 2018 तक पिछले 13 सालो में राजस्थान में हो रहे स्वीकृत ड्रग ट्रायल, ट्रायल साईट/ हॉस्पिटल, ट्रायल में शामिल प्रतिभागी संस्था, ट्रायल के दोरान हुई मृत्यु और शारीरिक दुष्परिणाम की संस्था अनुसार जानकारी, पूर्ण एवं वर्तमान में जारी परीक्षण की जानकारी व साथ ही इन दवा परीक्षणों को करने वाले प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर के नाम सार्वजनिक किये जाये.
अब तक की गयी जाँचो की रिपोर्ट सार्वजानिक की जाये.
स्वास्थ्य अधिकार मंच इस पुरे मामले को माननीय सर्वोच्च न्यायलय में अनैतिक दवा परीक्षण के मुद्दे पर मंच की विचाराधीन जनहित याचिका के माध्यम से माननीय न्यायलय में उठाएगा.
प्रेस कांफ्रेंस को राजस्थान नागरिक मंच के कार्यकारी अध्यक्ष आर सी शर्मा, महासचिव बसंत हरियाणा, सचिव अनिल गोस्वामी,स्वास्थ्य अधिकार मंच की अमूल्य निधि, चिन्मय मिश्र, शैली साहा, जन आन्दोलनों का राष्ट्रिय समन्वय(NAPM) ड्रग ट्रायल पीड़ित संघ के कैलाश मीणा, प्रदीप गहलोत आदि ने संबोधित किया।