राष्ट्रीय

बड़े शौक़ से सुन रहा था ज़माना, तुम्हीं सो गए दास्ताँ कहते कहते!!

By khan iqbal

May 20, 2018

रिज़वान एजाज़ी

बड़े शौक़ से सुन रहा था ज़माना

तुम्हीं सो गए दास्ताँ कहते कहते !

मैं उस वक़्त सियासत का हिस्सा हुआ करता था पाली मारवाड़ कांग्रेस का जाना पहचाना चेहरा था लोकसभा चुनाव की ज़बरदस्त गहमागहमी थी 21 मई को अचानक राजीव जी के श्रीपेराम्बुदूर में बम ब्लास्ट से देहांत हो जाने की ख़बर आई । अभी 7 दिन पहले ही तो जोधपुर आये थे । यह तस्वीर उसी वक़्त की है हम उनके बहुत पास बैठे थे । ऑंखें उनके चमचमाते , मनमोहक चेहरे से हट ही नहीं पा रही थीं । उनके दीदार करने को ,एक झलक देखने के लिये घण्टों बच्चे ,बुज़ुर्ग ,महिलाऐं इंतज़ार करते थे जब उनसे पहली बार हाथ मिलाया था तब उनकी चौड़ी हथेली के मज़बूत स्पर्श का अहसास आज भी मेरी याददाश्त में क़ायम है ।

22 मई को बीना काक जी ,पाली लोकसभा सांसद धर्मी चन्द जी और मैं कार से दिल्ली को रवाना हुए । रात भर के थकाऊ सफ़र के बाद सुबह 5 बजे हम त्रिमूर्ति भवन पहुँचे । बड़े से हॉल के मध्य में बड़ा सारा ताबूत रखा था जिसमें राजीव जी हमेशा के लिये सोये हुए थे ताबूत के दायीं और सोनिया जी गम्भीरता की मूर्ति बनी एकटक ताबूत को निहार रही थीं । हम उनके साइड में बैठ गये । किशोरवय राहुल जी और प्रियंका जी को देखकर मेरा गला रुँधा हुआ था और ऑंखें बरसने की ज़बरदस्त कोशिश कर रही थीं लेकिन वहाँ का माहोल ऐसा था कि भरपूर कोशिश कर उन आंसुओं को ज़ब्त करना पड़ा । दोनों ही बच्चों के चेहरे ग़मग़ीन ज़रूर थे वे बहुत तेज़ी से चलते हुए व्यवस्था सम्भाल रहे थे लेकिन उनकी आँखों में सूनापन ज़रूर था पर आंसुओं को वहाँ भी जगह नहीं थी । कहते हैं कि नेहरू -गाँधी परिवार को यह सिखाया जाता है कि उनके आँसू दुनिया को नहीं दिखने चाहिये मोतीलाल नेहरूजी से लगाकर अब तक इस परिवार के कितने ही सदस्यों ने सैकड़ों रातें जेलों की कोठरियों में काटीं । असामयिक मृत्यु देखी । उतार चढ़ाव देखे । हज़ारों इलज़ाम देखे । लेकिन यह परिवार आज भी हिंदुस्तान की सांसों में बसा हुआ है । अचानक सोनिया जी बैठे बैठे बेसुध होकर गिर जाती हैं , तेज़ी से कुछ लोग उन्हें उठा कर पास के कमरे में ले जाते हैं। काश वक़्त थम जाता और हम वहाँ बैठे रहते । कुछ समय बाद सोनिया जी फिर वहाँ आकर बैठ जाती हैं । अब कुछ सामान्य सी हैं । बड़ी बड़ी हस्तियों का आना जाना जारी रहा । कब तक बैठे रहते ,अनिच्छुक हमें उठना ही पड़ा । हम बाहर आये । दिन उगने को था । सूर्योदय की हल्की रोशनी दिखाई देने लगी थी और एक ऐसा सूर्य सदैव के लिये अस्त होने वाला था जिसके बहुत से सपने थे ।जो युवा था । जिसने इस देश को 21वीं सदी में ले जाने का संकल्प लिया था । देश हमेशा राजीव जी को याद करता रहेगा । देश हमेशा उनके योगदान का आभारी रहेगा । वह दिन आज भी मेरी निगाह के सामने है जिसकी यादें आज पहली बार यहाँ ज़ाहिर की हैं ।

(साभार-रिज़वान एजाज़ी साहब की फेसबुक वॉल से)