राजस्थान

ब्यावर:पैंथर से कुश्ती लड़ने की बहादुरी से लबरेज़ दास्ताँ,आप भी पढ़िए

By khan iqbal

December 01, 2018

आज सवेरे-सवेरे 4 बजे थल का बाडिया, भरकाला,खातेदाई,रावला बाडिया (मसूदा)के काठात बाहुल्य गांवो मे आदमखोर पेंथर घुस आया खेतों की रखवाली कर रहे लोगों को जख्मी करते हुए भरकाला स्कूल के पास नवाज़ काठात के घर मे घुस गया जहाँ एक कमरे मे नवाज़ भाई अपने दो बच्चों बीवी और तीन बकरियों सहित सो रहे थे, सुबह का वक्त होने से नवाज़ भाई की नींद खुली हुई थी,अचानक बड़े जंगली जानवर को देखते ही जाँबाज नवाज़ भाई ने आव देखा ने ताव अपने बीवी बच्चों और जानवरो की रक्षा के लिये अपनी जान जोखिम मे डालकर लगभग 180 किलो वजनी और बहुत ही हिंसक टाइगर से भीड गये उनकी पत्नी पुष्पा बानो भी कहाँ पीछे रहने वाली थी, दोनो उस भीमकाय जानवर से लड़ते रहे इस दौरान नवाज़ भाई की पत्नी की जांग पर पेंथर ने बड़ा घाव कर दिया, नवाज़ की गर्दन हाथ और कई जगह दांत से चबा लिया,बहुत ही जद्दोजहद के बीच नवाज़ ने पेंथर को दबोच लिया और उनकी पत्नी ने दोनो बच्चो को कमरे से बाहर निकाल लिया,मौका पाकर हिम्मत के धणी नवाज भाई ने पेंथर को कमरे मे बन्द कर बाहर से कुंदा लगा दिया, शोर मचाने पर गांव के दुसरे पडौसी आ गये तब तक मालूम हुआ कि पेंथर ने 7लोगो पर हमला किया है,रोशन काठात सचिव नवयुवक मंडल ने श्री सीमेंट से अम्बुलेंस मँगाई और सभी को A K H ब्यावर भिजवाया,प्रशासन को सूचना दी गई ।मै भी 7•बजे वहाँ पहुंच गया,कई जनप्रतिनिधि और आस पास से हजारो लोग वहां जमा हो गये,वन विभाग की टीम के देरी से आने और बिना साधनो के ही घटना स्थल पर आने से ग्रामीण बिफर गये और अपने स्तर पर ही tigar को ठिकाने लगाने की धमकी पर पुलिस के हाथ पांव फूल गये,समाज के मोजिज लोगो, और जन प्रतिनिधियो के समझाने पर मामला शान्त हुआ ।लोगो में वन विभाग द्वारा अतिरिक्त पिंजरा नहीँ रखने पर रौष देखा गया,आखिरकार 10• 30 पिंजरे मे पेंथर को पकड लिया तो सभी ने राहत की साँस ली । अंदर रह गई बकरियों मे से दो को मार के खा गया ।इतने बड़े पेंथर को अकेले नवाज़ काठात द्वारा कंट्रोल करके कमरे मे बन्द करना कोई अजूबे से कम नही है,हम केवल अनुमान लगा सकते है कि एक जंगली और सबसे ताकतवर पेंथर से कैसे मुकाबला करके इस वीर बहादुर ने इसको बन्द किया होगा।मै सैल्युट करता हूं इस शुरवीर को जिसने अपनी इस हिम्मत से ना जाने कितने लोगो की जान को बचाया है और काठात कौम का नाम फिर से रोशन किया है ।हम भले ही राजनीतिक दावपेंच ना जानते हो मगर वतन की रखवाली और ऐसे वीरता पूर्वक कारनामों मे हम पीछे नही है इसी लिये कहा जाता है “””मगरो मरदाँ रो

-जलालुद्दीन काठात