साहित्य

फिजिक्स के छात्र अंकित कुमार की कविता-कौंन कहता है प्यार नहीं

By khan iqbal

September 18, 2018

कौंन कहता है प्यार नहीं?

कौंन कहता है कमबख्त दिल को कभी प्यार नहीं? प्यार तो था मगर उसका इजहार नहीं, इजहार करने मे देर हुई, चाँदनी रात मे जैसे अंधेर हुई, प्यार का तूफ़ान कुछ इस कदर आया, ज़िंदगी की शुरुआत मे ही सब कुछ सिखा लाया, ये थी प्यार की कहानी नई, कौन कहता है कम्बक्त दिल को कभी प्यार नहीं? प्यार तो था मगर उसका इजहार नहीं।। दूसरी बार प्यार हुआ, फिर इजहार मे देर नहीं, सब कुछ अच्छा था, लेकिन दुनिया को मंजूर नहीं, जब लोगो की ज़िंदगी की शुरुआत होती है, मेरी ज़िंदगी खत्म-सी होती लगी, छोड़ कर चल दिया था ज़िंदगी की घड़ी, दोस्तों ने हाथ पकड़ कर रोक लिया और बोले, ऊपर वाले के घर देर है अंधेर नहीं, मिलेगा ज़िंदगी मे कोई और भी प्यारा, सफ़र अभी थमा नहीं, दूसरी बार प्यार हुआ ,फिर इजहार मे देर नहीं।। अब तीसरी बार दिल से कहने की हिम्मत नहीं, कमबख्त अब कोई छोड़ जाये तो , ज़िंदगी की जरूरत नहीं, इसलिए सोचा दोस्तों की बनाऊ दास्ताँ नई, कौंन कहता है अंकित के दिल को कभी प्यार नहीं? प्यार था लेकिन अब उसमे दोस्तों के अलावा कुछ नहीं।।

अंकित कुमार (अंकित कुमार, केंद्रीय विश्वविद्यालय राजस्थान,अजमेर मे फिजिक्स B.Sc. third semester स्टूडेंट है) मोब.न: 7378283646 Email-kankit9057@gmail.com