राजस्थान

झीलों की नगरी,मोहब्बत का शहर-उदयपुर

By khan iqbal

March 25, 2018

एक ऐसी जगह जहाँ सहर और शाम जैसे मोहब्बत का घूँट पिए होती है, जहाँ जिस ओर देखे एक सुहावना मन्ज़र नज़र आता है। ऐसी शांत जगह जैसे समन्दर शाम को हुए जाता और कभी कभी रात मे बारिश के घुँगरू की छम-छम आवाज़े। उदयपुर झीलों की नगरी ही तो है, यहां लम्बी-चौड़ी चार झीलें हैं- पिछौला लेक, फतेह सागर, उदय सागर और रंग सागर। खास बात है कि चारों झीलें एक नहर से आपस में जुड़ी हैं। सामने एक ओर ऊंचे पहाड़ पर मॉनसून पैलेस है, तो दूसरी ओर नीमच माता मन्दिर।इसमें दो मत नही है की यह पर्यटको के लिए बहुत रोमांचित जगह है । उदयपुर देश के रोमांटिक शहरों में से एक है। पानी से लबालब झीलें गर्मियों में भी ठंडक का अहसास कराती हैं।

पहाड़ो से झीलो का मन्ज़र ऐसा होता है जैसे जन्नत के किसी कोने से कुछ् देखा जा रहा हो। सड़कों पर ट्रैफिक और भीड़-भाड़ न के बराबर है, इसलिए ज्यादा तपिश महसूस नहीं होती। मेवाड़ के सिसोदिया राजपूतों ने 1567 में चित्तौड़गढ़ के अस्त होने के बाद उदयपुर आकर परियों-सा खूबसूरत शहर बसाया था। राणा उदय सिंह ने 16वीं सदी में उदयपुर की खोज की थी। उदयपुर को सूर्योदय का शहर कहा जाता है, पहाड़ो से घिरा हुआ उदयपुर शहर एक पर्वतश्रेणी पर स्थित है, जिसके शीर्ष पर महाराणा जी का महल है, जो सन् 1570 ई. में बनना आरंभ हुआ था। उदयपुर के पश्चिम में पिछोला झील है, जिस पर दो छोटे द्वीप और संगमरमर से बने महल भी हैं। यह नगर समुद्रतल से लगभग दो हज़ार फुट ऊँची पहाड़ी पर प्रतिष्ठित है एवं जंगलों द्वारा घिरा है। हरे – भरे पेड़ों से आच्छारित, उंची – नीची पहाड़ी ढलानों से मुक्त इस नगर की साफ – सुथरी , चौड़ी सड़कों पर घूमने का अपना ही आनंद हैं। चारों ओर , हरी – भरी पहाड़ियां , उनके बीच दूर तक लहराती झीलों का सौंदर्य देख मन किसी सपनो की दुनिया के आनंद की अनुभूति में डूबने उतराने लगता हैं। उदयपुर के अलावा झीलों के साथ रेगिस्तान का अनोखा संगम अन्य कहीं नहीं देखने को मिलता।