जब चंद्रशेखर आज़ाद ने सावरकर से कहा था हमें भाड़े का क़ातिल मत समझो
आज स्वतंत्रता सेनानी और हिंदुस्तानी सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के सुप्रीम कमांडर चन्द्र शेखर आज़ाद का शहीद दिवस है! आज़ाद की बहादुरी के किस्से हम बचपन से सुनते आए हैं! जो किस्सा हमें बार बार सुनाया जाता है के जब अंग्रेजों से लड़ते हुए उनकर पास आख़िरी गोली बची तो उन्होंने स्वंय को सरेंडर करने के बजाय अपने आप को गोली मार ली! दरअसल वो किसी क़ीमत पर अंग्रेजों के हाथ ज़िंदा गिरफ़्तार नहीं होना चाहते थे! एक ओर अहम किस्सा जो हमे आज़ाद के बारे में सामान्यतः नही बताया जाता वो हिंदुत्व के ध्वजा वाहक ओर आर एस एस से सम्बंधित वीडी सावरकर के एक संदेश को क़ुबूल नही करने से सम्बंधित है। इस सम्बंध में दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफ़ेसर सौरभ वाजपेयी अपने एक लेख में लिखते हैं कि”चन्द्र शेखर आज़ाद को सावरकर ने सन्देश भिजवाया कि आंदोलनकारियों को अंग्रेजों से लड़ना बन्द करके जिन्ना और मुसलमानों की हत्या करनी चाहिए! यशपाल ने अपने किताब”सन अवलोकन” में लिखा है कि इसपर आज़ाद ने सावरकर के दिये 50 हज़ार रुपये ये कहकर ठुकरा दिए कि “ये हम लोगों को भाड़े का हत्यारा समझता है,अंग्रेजों से मिला हुआ है,हमारी लड़ाई अंग्रेज़ों से है मुसलमानों को हम क्यों मारेंगे? मना कर दो नहीं चाहिए उसका पैसा आज़ाद हिंदुत्व और चरमपंथी के ख़िलाफ़ थे चन्द्र शेखर आज़ाद के संबंध में आज ये बातें इसलिये अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं की हिन्दुत्व और संघ परिवार की हरसंभव कोशिश होती है कि आज़ाद जैसे धर्मनिरपेक्ष और देशभक्त को हिंदुत्व के ध्वजवाहक के तौर से प्रस्तुत किया जाए!