राजस्थान

प्रदेश में कानून व्यवस्था दयनीय स्थिति में-जमाअते इस्लामी हिन्द

By khan iqbal

February 04, 2018

 

प्रदेश में कानून व्यवस्था दयनीय स्थिति में-जमाअते इस्लामी हिन्द राजस्थान

 

जमाअते इस्लामी हिन्द के प्रदेश मिडिया प्रभारी डा.मुहम्मद इकबाल सिद्दीकी ने अजमेर के ब्यावर शहर में प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि पिछले दो-तीन सालों में प्रदेश में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति दयनीय हो गई है।

अपराधों में वृद्धि हुई है और जनता में कानून हाथ में लेने की प्रवृत्ति विकसित हुई है तथा दलितों एवं अल्पसंख्यकों के विरुद्ध अत्याचार की घटनाएं बढ़ी हैं।

डॉ.सिद्दीकी ने कहा कि मार्च 2017 में बीकानेर के नोखा में एक नाबालिग दलित छात्रा की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई, अजमेर के केकड़ी में एक दलित दम्पत्ती को केवल इसलिये 13 लोगों ने बुरी तरह पीटा कि उन्होंने अपने ऊँची जाति के पड़ोसी से पहले अपने खेत में पानी दिया, अलवर के थानागाजी तहसील में एक दलित के घर पर हमला कर के घर के लोगों को घातक रूप से पीटा और उनकी महिलाओं के साथ अश्लील हरकतें की गईं, नागौर जिले के डांगावास में दलितों पर ट्रेक्टर चढ़ा दिया गया जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई तथा 13 लोग घायल हो गए।

इसी प्रकार मुसलमानों के विरुद्ध घृणा और उन पर हमलों की कई घटनाएं पिछले दिनों सामने आईं। मई 2015 में नागोर के बिरलोका में अब्दुल गफ़्फार की हत्या, अप्रेल 2017 में अलवर के बहरोड़ में पहलू खान की हत्या, जून 2017 में प्रतापगढ़ में जफर खान की हत्या, सितम्बर 2017 में एक मांगणियार गायक अहमद खान की हत्या, नवम्बर 2017 में अलवर जिले में उमर खान की हत्या,  दिसम्बर 2017 में तालीम खान की हत्या, दिसम्बर में ही राजसमंद में अफराजुल शेख की हत्या सहित कई ऐसी घटनाएं सामने आईं जिनमें आम लोगों या कुछ संगठनों से सम्बन्धित लोगों ने कानून हाथ में लिया और दलितों तथा अल्पसंख्यकों, जिनमें ईसाई समुदाय भी शामिल है, को निशाना बनाया। जो अल्पसंख्यको को डराने की साजिश है। उन्होने इस पर कड़ी टिप्पणी करते हुए वर्तमान व्यवस्था को चिंताजनक बताया।

उन्होने कहा कि पिछले तीन सालों में प्रदेश के स्कूली तथा उच्च शिक्षा का साम्प्रदायीकरण किया गया है। पाठ्यक्रम में ऐसी सामग्री शामिल की गई जिससे विद्यार्थियों के मन में अल्पसंख्यको के प्रति नफरत पैदा हो तथा अल्पसंख्यकों में हीनता की भावना पनपे।

विद्यालयों में सूर्य नमस्कार को अनिवार्य करना, ईद के दिन रक्तदान शिविर आयोजित करना, विद्यालयों में वन्देमातरम गाना अनिवार्य करना आदि के माध्यम से अल्पसंख्यकों को डराने और उनहें यह अहसास कराने का प्रयास किया गया कि वे दूसरे दर्जे के नागरिक हैं। जो देश एवं प्रदेश के अमन के लिए बेहतर नहीं है।

डॉ. सिद्दीकी ने कहा कि केन्द्रीय बजट में गरीबों और पिछड़े वर्गों को नकारा गया है तथा कॉरपोरेट और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को फायदा पहुंचाने का प्रयास किया गया है। स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की गई है जो अच्छी बात है परन्तु पिछली स्कीम लागू नहीं की गई।

अपराधों पर नियंत्रण के लिए और विशेष रूप से भीड़ द्वारा मारे जाने, असुरक्षा की स्थिति को दूर करने तथा दलितों पर अत्याचार रोकने के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं है। महिलाओं एवं बाल कल्याण के बजट में कटौती कर 47.80 से 43.62 करोड़ कर दिया गया है। फूड एण्ड न्यूट्रीशन का 15.16 से 14 करोड़, जन-सहभागिता एवं बाल विकास राष्ट्रीय संस्थान का 70.08 सं 59.41 तथा राष्ट्रीय महिला कोष का बजट 1 करोड़ से सीधा 1 लाख पर ला दिया गया है ओर महिलाओं एवं बच्चों के कल्याण के लिये पूर्व में चलाई गई कई योजनाओं को बंद कर दिया गया है। वृद्धों के लिए चलाई गई वयोश्री योजना को समाप्त कर दिया गया।

अल्पसंख्यकों के लिए चल रही कई योजनाओं में कटौती की गई है। छात्रवृत्ति में 170 सं घटा कर 165 करोड़ कर दिया गया है जो पहले ही कम था और पिछले साल मात्र 10 प्रतिशत छात्रों को ही यह छात्रवृत्ति मिल सकी है। हमारी धरोहर स्कीम का बजट 12 से घटा कर 6 करोड़ कर दिया गया है। कुल मिला कर अल्पसंख्यकों के लिए कुल बजट का मात्र 0.2 प्र.श. ही रखा गया है। दलितों के लिए चलने वाली कई योजनाओं में कटौती की गई है। इस दौरान जमाअते इस्लामी हिन्द ज़िला अजमेर, पाली, राजसमंद के संयोजक मुमताज़ अली भी मौजूद थे।