छात्र राजनीति में यह बदलाव की सूचना है। राजस्थान विवि के विद्यार्थियों ने तालाब के ठहरे पानी में परिवर्तन का कंकर फेंका और लहर पैदा की / मतदाताओं ने राजनीतिक पार्टियों की डोर से बंधे दोनों बड़े छात्र संगठनों को कुछ हद तक नकार दिया। वोटर ने जाति बिरादरी और धन बल को भी ख़ारिज किया है / अध्य्क्ष पद पर विनोद जाखड़ की जीत उल्लेखनीय है। पहले परिसर का परिवेश अपने विचार और काम से बाहर के सामाजिक राजनीतिक वातावरण को प्रभावित करता था। लेकिन पिछले काफी वर्षो से बाहर का परिवेश परिसर को प्रभावित करने लगा था।बाहर सियासी दल जो कुछ कर रहे थे ,वही कुछ विवि परिसर में होने लगा था। मगर अब शायद अर्से बाद परिसर ने बाहरी माहौल को परास्त किया है। चुनाव छात्र संघ का होता है मगर कभी बिल्डर तो कभी जात बिरादरी के पंच पटेल फैसला करने लगते है।जिस प्रत्याशी के पास स्कार्पियो जैसी बड़ी गाड़ी न हो ,वो चुनाव लड़ना तो दूर ,दावेदारी में भी नहीं गिना जाता। जब NSUI और ABVP दोनों ने बदलाव की पहल को अनदेखा किया ,विद्यार्थियों ने अपने विवेक और जमीर को तरजीह दी।पूरा जे पी आंदोलन इन्ही परिसरों से निकला था। बहरहाल विजेताओं को बधाई। लेकिन उनकी जिम्मेदारी भी बढ़ गई है। वक्त उनके कामकाज की समीक्षा करेगा।
(नारायण बारेठ)