छात्रसंघ चुनाव और देश के युवाओ का मिजाज-
भारत के चर्चित विश्वविद्यालयो जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय और पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ के बाद राजस्थान में भाजपा सरकार के लिए बुरी खबर राजस्थान विश्वविद्यालय , जयपुर से आयी है। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय और पंजाब यूनिवर्यसिटी, चंडीगढ में लेफ्ट की जीत के बाद राजस्थान यूनिवर्सिटी, जयपुर में भी निर्दलीय उम्मीदवार विनोद जाखड़ अध्यक्ष पद विजयी हुए है। उपाध्यक्ष और महासचिव पद पर भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के उम्मीदवार एनएसयूआई के हाथों हार गए है। जयपुर की हार भी चंडीगढ़ की तरह ही है। राजस्थान में भाजपा की सरकार है। जयपुर के सांसद भाजपा के है। ऐसे में अनुसूचित जाति से संबंधित एक निर्दलीय उम्मीदवार भारी मतों से राजस्थान यूनिवर्सिटी का चुनाव जीता है। केंद्र और राज्य की सरकारों दोनों के लिए खतरे की घंटी बज गई है। छात्र संघ चुनाव देश के युवाओं के मिजाज का संकेत जरूर देता हैं , क्योंकि यह न भूले की कम से कम 15 करोड़ मतदाता इस समय देश में युवा है। जो महत्वपूर्ण यूनिवर्सिटियों के चुनाव परिणाम साफ संकेत दे रहे है। युवाओं का मोहभंग वर्तमान सरकार के कामकाज से हो रहा है। बढ़ती बेरोजगारी, शिक्षा के बाजारीकरण ने वर्तमान सरकार पर विश्वास को खत्म किया है। दोनों यूनिवर्सिटियों के चुनाव परिणाम साफ संकेत दे रहे है कि युवा वर्ग जातीए भेदभाव भूलकर सरकारी नीतियों के खिलाफ वोट कर रहा है। हालांकि सरकार का अहंकार देखने वाला है। वो सरकारी यूनिवर्सिटियों को अनुदान देने से भाग रहा है। वहां गरीब छात्रों पर फीस बढ़ायी जा रही है। भारी फीस देने के बाद और डिग्री हासिल करने के बाद भी नौकरी नहीं मिल रही है। लेकिन उधर सरकार जियो इंस्टीटयूट जो फिलहाल नक्शे में भी नहीं है, उसे सरकारी अनुदान सारे नियमों को तोड़कर दे रही है। केंद्र सरकार के मंत्री अहंकार में प्रेस कांफ्रेंस करते है, उसका जवाब देश के युवा वोट से दे रहे है। सरकार के पास अभी भी सम्हलने का वक्त है।
– विकास टांक (छात्र, समाज कार्य विभाग, केंद्रीय विश्वविद्यालय राजस्थान)