साहित्य

चेहरे की उर्मियां

By khan iqbal

May 28, 2018

चेहरे की उर्मियां

मुँह पे झुर्रि हाथ में छुरी पैर में दुरी केवल गलियारें से जाते हँसते, गाते और अपनी बतियाते एक बहन-एक भाई पीछे-पीछे उनकी पड़ोसन आई पड़ोसन ने पूछा कहाँ जा रहे हों भाई बहन ने भाई को देखा भाई ने बहन को देखा बात समझ न आई कहाँ की झुर्रि कहाँ की छुरी तेरी मुस्कुराहटों में जागता है। मेरी प्यारी सुबहों का लाल सूरज, तेरी मुस्कुराहटों में ढलता है। मेरी प्यारी शामो का सूरज मोती मिलेंगे तुझे -ये प्यारे बच्चे तेरी परिस्थिति गलत समय में क्या कर लेगी, अपनें हाथो में कील चुभोकर आइये रोज खुशनुमा जिंदगी जीए जरा प्याला भर दूसरों के दर्द का अमृत पीऐं।

-हरेन्द्र कुमावत

स्नातकोत्तर छात्र, हिंदी विभाग

राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय, अजमेर