युवा क़लम

ख़ान इक़बाल कि कविता “हमारे कितने चहरे”

By khan iqbal

January 17, 2019

हमारे कितने चहरे एक? दो? तीन? या फ़िर अनन्त आज का ! कल का शाम का! सुबह का फेसबुक पोस्ट का फेसबुक इनबॉक्स का कहीं छुपा! कहीं खुला कितनें अलग हैं सब चहरे कॉलेज का अलग घर का अलग मस्जिद का अलग रोनें का अलग हँसने का अलग कोनसा चहरा किसके साथ क्रोध वाला शत्रु के साथ प्यार वाला प्रेमिका के साथ हर चहरे में एक दूसरा चहरा कोई भयानक तो कोई मार्मिक चहरा कितनें चहरे हैं हमारे? शायद अनन्त.. #khaniq