Chinese President Xi Jinping (R) speaks to Indian Prime Minister Narendra Modi as they visit Dacien Buddhist Temple in Xian, Shaanxi province, China, May 14, 2015. REUTERS/China Daily CHINA OUT. NO COMMERCIAL OR EDITORIAL SALES IN CHINA

नज़रिया

क्या मोदी का बड़बोलापन देश की विदेश नीति के लिए भारी पड़ रहा है

By khan iqbal

March 14, 2019

मोदी सरकार की एक और विफलता – चीन ने फिर मसूद अज़हर वैश्विक आतंकवादी घोषित करने में अड़ंगा लगाया

चीन ने कल दोबारा जैश – ए- मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का विरोध कर के इसे निरस्त करा दिया.

ये मोदी सरकार की बड़ी कूटनीतिक विफलता है जब विश्व के तमाम देश पुलवामा में हुये आतंकवादी हमले की निंदा कर चुके हैं.

मोदी सरकार आने के पहले भारत-चीन-रूस की तिकड़ी पश्चिम के लिए सरदर्द बनी हुयी थी.

इसी तिकड़ी ने BRICS (ब्राज़ील, रूस, इंडिया, चाइना और साउथ अफ्रीका) का जलवायू परिवर्तन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन पर अमेरिका और पश्चिमी देशो के खिलाफ मोर्चे बंदी के लिए प्रेशर ग्रुप बनाया जिसका बाद में इन देशो के बीच व्यापारिक और सामरिक हितों तक विस्तार हो गया.

पश्चिम और खासकर अमेरिका इस तिकड़ी को तोड़ना चाहता था.

मनमोहन सरकार के वक़्त ओबामा ने इस बावत कई बार कोशिश की पर उसे कामयाबी नहीं मिली.

मोदी अमेरिका के बुने हुये इस जाल में फसते चले गए और इस विदेश नीति को ऐसा मोड़ा कि भारत उसकी बड़ी कीमत चुका रहा है.

पहले चीन ने भारत की न्यूक्लियर सप्लाई ग्रुप की सदस्यता पर अड़ंगा लगाया. मोदी ने एनएसजी की सदस्यता को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया पर कामयाब नहीं हुये.

फिर चीन के डोकलाम में सैनिक कार्यवाही कर के भारत के लिये मुसीबत खड़ी की जो अभी भी पूरी तरह से सुलझी नहीं है.

इसके पहले चीन और रूस ने ब्रिक्स के प्रस्ताव में पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी गुटों का ज़िक्र नहीं लाने दिया.

भारत की विदेश नीति की एक बड़ी कामयाबी रही है कि आतंकवाद पर वो विश्व समुदाय मे पाकिस्तान को अलग थलग करने में कामयाब रहा है. चीन का ये रुख भारत की मूहीम को धक्का है.

चीन एक बड़ी ताकत है, भारत और चीन की 4000 किलोमीटर लंबी सीमा है और व्यापरिक रिश्ते हैं लेकिन उससे सूझबूझ से इंगेज करने के बजाय मोदी नेपाल और श्रीलंका को चीन के पाले में धकेल चुके हैं.

भारत की विदेश नीति का उद्देश्य भारत के हितों की रक्षा करना होना चाहिए ना कि अमेरिका के.

-प्रशांत टंडन