राजनीति और चालाकी का बन्धन अटूट है!लेकिन देश में ये संयोग सिर्फ़ ब्राह्मणों के हाथ लगा!दलित अल्पसंख्यकों के भाग्य में ये कभी नहीं आया!
कल राजस्थान विश्वविद्यालय चुनाव में विनोद जाखड़ को जीत मिली वो मेघवाल हैं!यानी दलित हैं!
सारे के सारे दलित हितैषियों ने कल से फेसबुक पर बेचारे जाखड़ का हलवा बनाया हुआ है कि दलित जीत गया पहली बार!भीम वाला जीत गया!
ये नए युग का प्रारंभ है!जबकि वास्तविकता ये है कि विनोद जाखड़ ने कभी जातिवाद पर वोट नहीँ माँगे!उसने कभी विश्वविद्यालय में जय भीम का नारा लगा कर वोट नहीँ माँगे!
वो दलितों पर अत्याचार का रोना रो कर छात्रों के पास नहीँ गया!
उसने महनत की!संघर्ष किया!हर जात क्षेत्र ग़रीब अमीर प्रत्येक छात्र की मदद के लिए सदैव तत्पर रहा!उसको हर जाति समुदाय के छात्रों ने वोट दिया!
छात्रों ने उसे वोट इसलिए नहीँ दिया कि वो दलित है!नेता किसी समाज का नहीँ होता वो हर धर्म समुदाय का हर हर व्यक्ति का होता है!
उसे दलित नेता कह कर उसकी आगामी राजनीति की हत्या मत करो!ये जीत किसी दलित की नहीँ ये सँघर्षवान युवा की है जो सबका नेता है!