राजस्थान

केंद्र सरकार RTI को कमज़ोर करने की कोशिश कर रही है, जिसे हम कामयाब नहीं होने देंगे-निखिल डे

By khan iqbal

October 20, 2018

जयपुर। 19 अक्टूबर, 2018 जन निगरानी अभियान के पाँचवें दिन शुक्रवार को जवाबदेही क़ानून बनाए जाने, पारदर्शिता, विसल-ब्लोअर क़ानून को ठीक से लागू किए जाने और लोकतंत्र एवं शासन  विषय पर संवाद किया गया।  संवाद के दौरान शासन में पारदर्शिता, क़ानून की पालना के लिए 8 प्रस्ताव पारित किए गए। इसके अलावा देश और राजस्थान में फैले भ्रष्टाचार और लूट के राज को दिखाने के लिए 4 नाटकों का मंचन भी किया गया और इस माध्यम से बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाया गया।  धरने में लगातार शामिल हो रहे 20 से ज़्यादा सिलिकोसिस के मरीज़ों ने अपने प्रमाण पत्र दिखाकर सरकार से पेन्शन, मुआवज़ा राशि और इलाज कराने की माँग की। धरने में सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने कहा की, ‘केंद्र सरकार RTI को लगातार कमज़ोर करने की कोशिश कर रही है, क़ानून में संशोधन किया जा रहा है जिसे हम कामयाब नहीं होने देंगे।’

धरने में दिल्ली से आई ‘सूचना के जन अधिकार का राष्ट्रीय अभियान’ की सचिव असमी शर्मा ने कहा कि, ‘सूचना के अधिकार पर काम करने वाले लोगों की हत्याएँ और उन पर लगातार हो रही  हिंसा पूरे देश के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। राज्य सरकारों को क़ानून की धारा 4 को पूरी तरह से लागू करना चाहिए जिससे लोगों को बिना माँगे ही अधिकतर सूचनाएँ मिल जाएँ।’

महाराष्ट्र अंधविश्वास उन्मूलन समिति के डॉक्टर सुदेश घोडेराव ने कहा कि, डॉक्टर दाभोलकर की हत्या वैज्ञानिक समाज की नींव पर कड़ा प्रहार था लेकिन हम सबको अंधविश्वास के ख़िलाफ़ लड़ाई जारी रखनी है।

धरने में पीएन मंदोला, कविता श्रीवास्तव, कोमल श्रीवास्तव, शंकर सिंह, रामलाल, पारस बंजारा, तोलाराम, शिशिर पुरोहित सहित 100 से ज़्यादा लोग मौजूद थे।

ये प्रस्ताव हुए पारित—-

RTI में हो रही संशोधन की कोशिश और RTI क़ानून को कमज़ोर करने की हर कोशिश का विरोध किया जाएगा।

राजस्थान सरकार ने पिछले 3 साल से सामाजिक अंकेक्षण नहीं कराया है। इसलिए सामाजिक अंकेक्षण की व्यवस्था को ठीक से लागू किया जाए।

जवाबदेही क़ानून लाया जाए ताकि काम नहीं करने वाले अफ़सरों की जवाबदेही तय हो सके।

सरकारी स्कूलों में  सरकारी कर्मचारियों के बच्चे पढ़ना अनिवार्य हो। इसी तरह सरकारी अस्पतालों में सरकारी कर्मचारियों को दिखाना ज़रूरी हो ताकि वहाँ की व्यवस्थाएँ सुधर सकें।

सुनवाई के अधिकार के क़ानून को प्रभावी रूप से लागू किया जाए। देश में 70 से ज़्यादा शिकायतकर्ता लोगों की हत्या हुयी हैं इसलिए शिकायतकर्ता सुरक्षा क़ानून को लागू किया जाए।

देश में लोकपाल और राज्य में लोकायुक्त क़ानून को संशोधन कर ढंग से लागू किया जाए।

विसल व्लोअर क़ानून को पारित तो कर दिया गया लेक़िन इसके नियम नहीं बनाए गए हैं; जल्द-से-जल्द इसके नियम बनाकर क़ानून को लागू किया जाए।

इन सभी प्रस्तावों को पारित कर सभी राजनीतिक दलों से इन्हेंअपने घोषणा पत्र में शामिल करने की माँग की गयी।

शहीद स्मारक पर चल रहे धरने में शुक्रवार को 4 नाटकों का मंचन भी हुआ जिसमें साथी कलाकारों ने देश और  राज्य में फैले भ्रष्टाचार और नेताओं के झूठे वादों पर व्यंग  किए गये और जनता की पीड़ा को दिखाया गया।