लैंगिक असमानता के खिलाफ देश के कई कैम्पस में चल रहे पिंजरा तोड़ अभियान की आग अब राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय में भी पहुँच गई है। इस अभियान के तहत छात्राएं लैंगिक समानता की बात करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्र छात्राओं के साथ होने वाले लैंगिक भेदभाव का विरोध कर रही हैं। विरोध स्वरूप मंगलवार रात को छात्राओं ने हॉस्टल से बाहर आकर रोड़ पर रात बिताई। गौरतलब है राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय में छात्राओं के हॉस्टल पहुँचने का समय रात दस बजे तक है जबकि छात्रों के हॉस्टल पहुँचने का समय रात 12 बजे तक है। यही नहीं विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में भी छात्राओं को रात 10 बजे तक ही रूकने की अनुमति है जबकि छात्रों के लिए पुस्तकालय रात 12 बजे तक खुला रहता है। अभी हाल ही में विश्वविद्यालय प्रशासन ने सिर्फ छात्राओं के हॉस्टल में ही बॉयोमेट्रिक मशीन लगाई है जिसका मैसेज सीधा छात्रा के अभिभावक के पास पहुंच रहा है,छात्राएं इस बात का भी विरोध कर रही हैं कि बायोमेट्रिक मशीन सिर्फ छात्राओं के हॉस्टल में ही क्यों लगाई गई है,छात्रों के हॉस्टल में क्यों नहीं?
(फ़ोटो- हॉस्टल के अंदर बंद छात्राएं)
छात्राओं के समर्थन में अब छात्र भी आगे आने लगे है। विश्वविद्यालय के कई पूर्व छात्र छात्राओं ने भी सोशल मीडिया पर छात्राओं के पिंजरा तोड़ अभियान का समर्थन किया है। प्रदर्शनकारी छात्र छात्राओं ने मिलकर सभी स्टूडेंट्स और प्रशासन के लिए एक अपील भी जारी की है। अपील कुछ इस प्रकार लिखी गई है,
“हम राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र-छात्रा कुछ अमानवीय प्रतिबन्धों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। एक विश्वविद्यालय परिसर को लोकतांत्रिक होना चाहिए परन्तु यहाँ हमारी सुरक्षा और सेवा में तैनात अधिकारी हमारे साथ व्यक्तिगत सम्पति सा व्यवहार करते हैं। सुरक्षा के नाम पर छात्र-छात्राओं पर 24 घण्टे निगरानी रखी जा रही है जिसके कारण हमारी व्यक्तिगत स्वतंत्रता बाधित हो रही है। हमें विद्यार्थी कम अपराधी की नजर से ज्यादा देखा जाता है। या तो हम इन सबको चुपचाप पशुओं की तरह झेलते रहें या अपने हक के लिए लड़ें।
प्रशासन का दायित्व तो यह है कि वह हमें सुरक्षित एवं भयमुक्त परिसर उपलब्ध करवाएं जिसमें 24 घण्टे पुस्तकालय, साफ पानी, पोष्टिक खाना तथा साफ-सुथरे शौचालय आदि हो…!!! परन्तु प्रशासन केवल अपना रोब दिखाने के लिए 24 घण्टे छात्र-छात्राओं पर निगरानी रखता है जिसमें बायोमेट्रिक, छात्रावास में cctv, बेवजह की पूछताछ, बाहर आने जाने के समय सुरक्षा अधिकारियों द्वारा अभद्र आचरण आदि है। यहाँ तक कि सुरक्षा अधिकारी व्यक्तिगत पुस्तकें तक अंदर बिना जाँच लाने नहीं देते। क्या हम सब विद्यार्थी सज़ायाफ्ता मुजरिम हैं? क्या सीयूराज परिसर जेल है? आइये बाहर और अपने हक के लिए लड़िए…B 4 के सामने !!!“