जनमानस विशेष

किताब “जनता स्टोर” 90 के दशक में राजस्थान की छात्र राजनीति की शानदार दास्ताँ

By khan iqbal

December 28, 2018

जयपुर में रहना ही मेरे जीवन के गिने चुने रोमांचो में से एक है.इस शहर से प्रेम के कारण बहुत हैं.मैंने यहाँ से इंजीनियरिंग की लेकिन मन हमेशा राजनीति में रहा.छोटे शहर से आने वाला युवा जिसे राजनीति में आनंद हो ऐसा दुर्लभ ही होता है.और फिर वो कच्ची उम्र में ही विधानसभा सचिवालय विधायकों मंत्रीयों से मिल ले तो अरमानों को पंख लग जाते हैं.मेरी इसी दिलचस्पी ने मुझे नवीन चौधरी की “जनता स्टोर” पढ़ने का अवसर दिया! नब्बे के दशक में राजस्थान विश्वविध्यालय की छात्र राजनीति की कहानी है जनता स्टोर.धोखा,प्रेम,दोस्ती,और सबसे बड़ी बात महत्वकांक्षा से भरी ना सिर्फ़ छात्र बल्कि मुख्यधारा की राजनीति के अंदरखाने की कहानियों को उकेरा गया है. राजनीति में जातिवाद,धर्म और क्षेत्रवाद के इर्द गिर्द राजसत्ता के ऊँचे प्रतिष्ठानों में होती साज़िशें आज भी राजनीति का प्रमुख हिस्सा है! ऐसी साज़िशें जिनसे आम जन ना सिर्फ़ अनभिज्ञ रहता है बल्कि उसमें हिस्सा बनने के लिए कच्चे माल की तरह इस्तेमाल होता है! राजस्थान विश्वविध्यालय की राजनीति में उसके आस पास जातिगत छात्र छात्रावासों की भूमिका और उसकी लात घूसों वाली रक्तरंजित राजनीती दिलचस्प अंदाज़ में प्रस्तुत की गई है. राजस्थान विश्वविद्यालय ही नहीं बल्कि राजस्थान में छात्र राजनीति दो जातियों हूँ जाटों और राजपूतों के आस पास ही घूमती हैं.हालाँकि अब इसमें मीणा भी जुड़ गये हैं!छात्रसंगठन,जो अपने अपने राजनैतिक दलों की कठपुतलियाँ हैं,छात्रों का इस्तेमाल अपनी गंदी शतरंजित राजनीति में मोहरों के तौर पर करते हैं! ये स्वार्थविहीन दोस्ती की भावनात्मक गाथा है तो वहीं महत्वकांक्षा के पैरों तले कुचलती मित्रता के दर्द को दिखाती है! हर घटना और हर स्थान को नवीन ने दिलचस्प अन्दाज़ में प्रस्तुत किया है!मैं ज़्यादा तो नहीं लिखूँगा क्यूँकि आपको ये किताब ज़रूर पढ़नी चाहिए!कुछ भी हो लेकिन अब इस राजनीति में बहुत तेज़ी बदलाव हो रहे हैं नवीन भाई पैजर की जगह स्मार्ट फ़ोन आगया है!

-ख़ान इक़बाल