राजस्थान में चुनावी रंग जम चुका है .यहाँ की हर सुबह एक उजास और लोकतंत्रिकता की महक से सुँघन्धित होती है! चाय की थडियों पर सरकारें बन रहीं हैं किसी पार्क में टिकट के दावे और शर्तें रखी जा रहीं हैं! चुनावी महोल में समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं!सबकी महत्वकांक्षाएं तड़प रही है! कहीं पार्टियाँ अपने कार्यकर्ताओं से बेवफ़ाई कर रहीं हैं तो कहीं नेता पार्टियों से बाग़ी होने का धम भर रहे हैं! चुनावी चकल्लस जारी है हर मतदाता चाहतो का घोषणापत्र लिए घूम रहा है कोई शिकायतें लिए तो कोई उम्मीद बांधे इस महोत्सव में शामिल है!मेरी भी आकांक्षाएँ हैं दिल का दर्द है! मेरा ही नहीं हर उस राजस्थान वासी युवा का है जिसे रोज़गार चाहिए!पिछले सालों में जिस तरह नौकरियों का टोंटा पड़ा और मौजूदा सरकार ने जिस तरह सरकारी नौकरियों को उलझाया उससे बेरोज़गारों की 5 लोकसभा सीटें बन जातीं! यहाँ मुझे शुद्ध वातवरण चाहिए जहाँ धार्मिक भेदभाव घुट घुट के मर जाए!प्रेम सध्भावना और सोहार्द की गंगा बहे! विरोध कोकरने की आज़ादी हो! जहाँ गांधी के विचारों का बोलबाला हो! संप्रदायिकता को कुचला जाए!फ़ासीवाद का अंत हो! मैं ईमानदार के साथ हूँ!सच के साथ हूँ!भारतीयता के महान विचार को अपनाने वालों के साथ हूँ!ऐसे प्रत्याशियों के साथ जो अनेकता में एकता में विश्वास रखते हों! जो संविधान प्रद्त आज़ादी के अपनाने वाले हों! आप भी उनका साथ दीजिए! कोई जीते हारे हमें हर स्थिति में देश को नहीं हारने देना है!