-साबिर अहमद मंसूरी
परीक्षाओं की समाप्ति के बाद छात्रों को तब तक रिलैक्स फील नहीं होता जब तक की रिजल्ट्स नहीं आ जाते और यह मौसम परीक्षा परिणामों का मौसम है, जिसमें विभिन्न स्तर के एग्जाम्स के रिजल्ट्स आ रहे है।
हाल ही में कुछ परीक्षाओं के परिणाम आना शुरू हो गये है और बहुत सी परीक्षाओं के परिणाम का अभी इन्तिज़ार है । इससे जहाँ एक तरफ़ विधार्थियों, अभिभावक और अध्यापक के बीच खुशी का माहौल है तो वहीं दूसरी तरफ कुछ छात्र-छात्रा बहुत ज़्यादा उदास भी है और अपने आपको कमतर समझ रहे है वो ये बात सोच रहे है की काश हम कुछ और पढ़ाई करते तो हम भी कुछ अच्छा कर पाते अपना और अपने माता-पिता का नाम रौशन करते। वो नाउम्मीद हो रहे है और कई विद्यार्थियों ने तो अपने जीवन ही को समाप्त कर लिया है। “आत्म हत्या किसी भी समस्या का समाधान नही है बल्कि ये खुद एक बहुत बड़ी समस्या है” जीवन अनमोल है इसे किसी एक परीक्षा के परिणाम के बदले समाप्त करना कहाँ की समझदारी है। दुनिया के लिए आप एक व्यक्ति है लेकिन अपने परिवार के लिए आप पूरी दुनिया है। आप अपना ख़्याल रखें और जिंदगी को यूँही समाप्त ना करें। घबराने की आवश्कता नहीं है, सिर्फ आपको आगे आने वाली परीक्षा की अच्छे से तैयारी करने की ज़रूरत है। ये नहीं सोचना चाहिये की इस परिक्षा में कुछ नहीँ कर पाये या अपने दोस्त से कम अंक आये है! अब मैं आगे कैसे पढ़ाई करूँगा ?
ऐसा नहीं है “कोई एक परीक्षा का परिणाम आपका भविष्य तय नहीं कर सकता” आपके सामने ऐसे-ऐसे उदाहारण मौज़ूद है जो कई बार असफ़ल हुए या शुरूआती परीक्षा में वो अच्छे अंक नहीं ला सके। लेकिन हम देखते है उन्होंने समाज में अपनी अहम भूमिका निभाई है। इसलिये आपको भी घबराने की आवश्कता नहीं है । बस आप तो अपने गोल को हासिल करने के लिये कड़ी मेहनत करने का दृढ़ निश्चय कीजिये। फिर देखिये आप सफलता की सीढ़ियों को कैसे चढ़ते जाते हो। जब हम किसी एक काम में एक बार असफल हो जाते है तो अपने आपको असफल मान लेते है जबकि ऐसा नहीँ होना चाहिये असफल हम तब होते है जब उस काम को ये सोच कर करना छोड़ देते हैं की अब मुझसे नहीं होगा। लेकिन हमें एक बात याद रखनी चाहिये की जब तक हम कोशिश कर रहे है तब तक हम सफलता की ओर बढ़ रहे है और जिस दिन कोशिश करना छोड़ देते है उसी दिन हम सफलता का द्वार अपने लिये बंद कर देते है। आपको एक बात और बताता चलता हूँ आप जानते होना की कई बार हमारे किसी एक विषय में कम अंक आते है तो हम परेशान होने लगते है। ये बात सही नहीं है ।ये आपकी रूचि पर निर्भर करता है। क्योकि जिस विषय में आपकी रूचि होती है उसमें आपके अच्छे अंक आते है और जिस में विषय में कम रूचि होती है उसमें कम अंक आते है । आप में से किसी के अन्दर कलाकार की प्रतिभा छुपी है अब ऐसे विद्यार्थियों के लिये गणित में पारंगत होना कोई ज़रूरी नहीं। आपके अंदर खिलाड़ी भी हैं,जिनकी फिजिकल फिटनेस फिजिक्स के अंकों से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं । आप में अनेकों उद्यमी भी हैं, जिन्हें इतिहास या अंग्रेजी साहित्य में कुछ कठिनाई महसूस होती होगी, लेकिन ये ही आगे चलकर इतिहास बदल सकते है । संगीतकार भी आप ही में से बनते है जिनके लिये रसायनशास्त्र के अंक कोई मायने नहीं रखते । ऐसी अनेको प्रतिभा आपके अंदर मौजूद है। साथ ही शिक्षण संस्थानों को भी समय समय पर अपने संस्थान में विद्यार्थियों की कॉउंसलिंग करवाते रहना चाहिये और पढाई के लिये जरूरत से ज्यादा भार भी नहीं डालना चाहिये। हाल ही में शिक्षा नगरी कही जाने वाले शहर कोटा में एक के बाद एक विद्यार्थी के द्वारा आत्महत्या करना भी हमें सोचने पर मजबूर कर देता है । सरकार को भी इस ओर ध्यान देना चाहिये और शिक्षण संस्थानों के लिये सख्त नियम बनाने की आवश्यकता है। ताकि बच्चों के खाने-पीने , पढ़ाई करने के घण्टे तय हो। सिर्फ किताबों के पीछे नहीं पड़े रहना बल्कि खेल कूद के लिये भी उचित समय दिया जाये। अभिभावक भी अपने बच्चों के परिणाम को लेकर बहुत बेचैन हो रहे होंगे । आपको सकारात्मक होने की आवश्कता है आप जब तक अपने बच्चों के परिणाम के प्रति सकारात्मक नहीं रहोगे तब तक आप बच्चे को इस नाज़ुक घड़ी से नहीँ निकाल सकते। आपको उन्हें होसला दिलाने की आवश्कता है , उनके परिणाम के प्रति खुशी ज़ाहिर करने की जरुरत है , उनमें आशा की किरण जगाने की आवश्कता है, उन्हें नाउम्मीदी से निकलना आप ही का काम है।