-माजिद मजाज़
जब देश की सबसे बड़ी जनअदालत में आर्थिक आधार पर सवर्ण आरक्षण बिल लाकर बाबा साहेब के संविधान को खुला चैलेंज किया जा रहा था, बाबा साहेब अम्बेडकर की देश की सबसे बड़ी अदालत ‘संसद भवन’ में बेइज़्ज़ती की जा रही थी तो उस वक़्त मात्र तीन लोग जो भारतीय संविधान पे सच्ची आस्था रखते हैं उन तीनों ने इस संविधान विरोधी बिल के विरोध में जाकर वोटिंग किया। इतिहास में एमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी और इंडियन यूनीयन मुस्लिम लीग के ईटी बशीर मुहम्मद एवं पीके कुंजलकुट्टी में इनका नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज होगा।
साथ ही साथ इतिहास में कलंक की तरह कांग्रेस,सपा,बसपा,राजद समेत उन तमाम दलों का नाम शामिल होगा, जिन लोगों ने आर्थिक आरक्षण बिल के पक्ष में वोटिंग किया है या इसका साथ दिया है।
समाजिक न्याय की राजनीति करने वाली पार्टियों का असल चरित्र सामने आ गया है, अब सपा,बसपा,राजद ये सब पार्टियाँ संसदीय प्रणाली में रहें या इनका वजूद मिट जाए तो इससे क्या फ़र्क़ पड़ने वाला? अगर आप इन लोगों को दलितों-पिछड़ों का हितैषी मानते हैं तो दिक्कत आप में है, किसी अच्छे डाक्टर से इलाज करवाओ अपना।
बेहतर है इस देश में भाजपा ही राज करे क्योंकि यही असल लोकतांत्रिक है जो अपने मुद्दों को लेकर कभी समझौता नहीं करती है। इस पार्टी के पास विचारधारा है और उस विचारधारा को लागू कराने को लेकर कटिबद्धता। बाक़ी सब फ्रॉड पार्टियाँ हैं, समाजवादी पार्टी तो सबसे बड़ी फ्रॉड।
“जनता स्टोर” के लेखक नवीन चौधरी के साथ ख़ास मुलाक़ात! नवीन चौधरी राजस्थान यूनिवर्सिटी में यह किताब राजस्थान यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति पर ही लिखी गई है। छात्र राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले और राजस्थान यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए लोगों को तो एक बार यह क़िताब जरूर पढ़नी चाहिए
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